बास्केटबॉल खेल (Khel) और टीम के नियम
इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊँगा। बास्केटबॉल खेल (Khel) और टीम के नियम हिंदी में दोस्तों बहुत लोगों ने कमेंट किया था कि उन्हें बास्केटबॉल इस खेल के रूल्स पता नहीं है बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जो खेलना शुरू करना चाहते हैं या जिन्होंने अभी-अभी खेलना शुरू किया है। लेकिन ढंग से बास्केटबॉल पता न होने के कारण वो अच्छे से खेल नहीं पाते या अपना पूरा टाइम नहीं दे पाते तो इस आर्टिकल में मैं एक एक करके बास्केटबॉल khel के नियम आपको बताऊँगा। इस आर्टिकल को बेसिकली तीन पार्ट्स में डिवाइड किया है।
पहला है बेसिक रूल्स जिसमें मैं आपको कम से कम रूल बताऊँगा जो आपको यह khel खेलने के लिए एकदम जरूरी है। दूसरा हैं फाउल, जो आप खेलते टाइम नहीं कर सकते। दूसरे प्लेयर्स के साथ आप उनको मार नहीं सकते? और तीसरा है वाइलेशन जो टाइम रिलेटेड हाउस होते हैं उसके बारे में डिटेल में बात करेंगे
बास्केटबॉल खेल के बेसिक रूल्स?
अगर हम बेसिक नियम की बात करें तो बास्केटबॉल Khel दो टीमों के बीच में खेला जाता है, जिसमें एक टीम में कम से कम 12 लोग हो सकते हैं और कोर्ट में एक बार में एक टीम से सिर्फ पांच लोग खेलते हैं और दूसरी टीम से पांच लोग तो आपका टारगेट बहुत आसन होता है। आपकी टीम को दूसरी टीम से ज्यादा पॉइंट स्कोर करने होते हैं तो जिस टीम का स्कोर ज्यादा होता है। वो टीम मैच जीत जाती है।
अगर हम टाइम की बात करें तो ऑफिशल मैच में गेम चार क्वार्टर में डिवाइड होते हैं, जिसमें एक क्वार्टर की टायमिंग होती है 12 मिनट तो जो पुरा मैं चलता है वो 48 मिनट का चलता है।
इंडिया में ये चीज़ थोड़ी अलग हो सकती है कि मैच 40 मिनट तक चलता हैं और 10 मिनट के चार क्वार्टर होते हैं या फिर 8 मिनट के क्वाटर्स होते है।
कॉलेज मैच में यह ऑफिशियल्स पर निर्भर करता है और जो टूर्नामेंट करवायें है उन पर डिपेंड करता है कि मैच इसकी लेंथ क्या होगी। अगर हम कोर्ट के डाइमेंशन की बात करें तो इसमें सारे मेन एरियाज़ कोर्ट के लेबल है।दोनों तरफ से एक पर एक बास्केट होता है जिनकी हाइट होती है और बीच में एक हाफ कोर्ट लाइन जिसके एक साइड आपका हाफ होता है और दूसरी साइड आपको अपोनेंट का हाफ तो आपको अपने अपोनेंट के हाफ में जाकर बास्केट स्कोर करना होता है और अपने पॉइंट बढ़ाने होते हैं।
अगर आप लाइन के पीछे से बास्केट स्कोर करते हैं तो आपको 3 पॉइंट्स मिलते हैं लेकिन अगर आपका पैर लाइन पर पड़ जाता है या फिर आप इस लाइन के अंदर से बास्केट स्कोर करते हैं तो आपको 2 पॉइंट्स मिलते हैं। अगर आप किसी पर फाउल करते हैं या आपको कोई फाउल करता है तो आपको लाइन से शॉट मारने का मौका मिलता है। जीसको बोला जाता हैं फ्री थ्रो और आपको हर फील्ड को मारने का एक पॉइंट मिलता है।
लेकिन आपको एक फाइल कैसे मिलेगा उसके बारे में हम आगे बात करेंगे। अगर हम बास्केटबॉल khel में पोजिशन की बात करें तो इस khel में पांच अलग अलग प्लेयर्स के लिए पांच अलग अलग पोजिशन होती है जो पॉइंट कार्ड, शूटिंग कार्ड, स्मॉल फॉर्वर्ड, पावर फॉरवर्ड और सेंटर पॉइंट गार्ड आपकी टीम का हाइट में सबसे छोटा इंसान होता है जिसकी पासिंग और ड्राइविंग स्किल्स बहुत अच्छी होती है और जो khel को डायरेक्ट करता है।
और जो सेंटर पोज़ीशन होती है वो टीम का सबसे लंबा और बड़ा प्लेयर होता है जिसका काम होता है बॉल निकालना, शोर्ट ब्लॉक करना और घुस के बास्केट स्कोर करना। ये तो बात हो गई बास्केटबॉल के बेसिक रूल्स की।
अब हम बात करते है की खेलना कैसे है तो एक प्लेयर जब खेलता है और उसके हाथ में बॉल होती है तो उसके बाद तीन डिफरेंट ऑपशन्स होते हैं। या तो वो डबल करके आगे बढ़ सकता है या फिर वो बॉल शूट कर सकता है या फिर वो बॉल को दूसरे प्लेयर को पास कर सकता है।
बास्केटबॉल खेल में फाउल क्या होता हैं?
आगे बढते हैं आर्टिकल के दुसरे पार्ट पर जो की फाउल अब बास्केटबॉल में बहुत अलग अलग तरीके के फाउल होते हैं। पहले तो बेसिक रूल यह है कि हर एक प्लेयर कम से कम एक मैच में पांच कॉल कर सकता है। 5 कॉल से ज्यादा करने के बाद उस प्लेयर को खेल से निकाल दिया जाता है और फिर उसके बाद बचा हुआ पूरा मैच वह नहीं खेल सकता।
ऐसे ही एक टीम एक क्वार्टर में कम से कम पांच कॉल कर सकती है और उससे ज्यादा कॉल करने के बाद दूसरी टीम के प्लेयर्स को मिलता है फ्री थ्रो।
अब बास्केटबॉल मैं फाउल होते कैसे हैं? पहला होता है पर्सनल फ़ाउल। किसी और पोर्ट की तरह इस पोर्ट में भी आप दूसरे प्लेयर को मार नहीं सकते, उसे धक्का नहीं दे सकते हैं और उसे पकड़ नहीं सकते हैं। अगर आप इन तीनों में से कोई भी चीज़ करते हैं तो आपके अकाउंट में एक फाउल ऐड हो जाएगा और बॉल ऑटोमैटिकली दूसरी टीम को मिल जाएगी। ये होता है पर्सनल फ़ाउल दूसरा होता है टेक्निकल फाउल यह होता है कि अगर आप रेफरी के डिसिशन देने पर उससे बहस कर रहे हैं या फिर आप किसी दूसरे प्लेयर को बास्केट मारने के बाद कॉल कर रहे हैं तो इन चीज़ो में आपको टेक्निकल फाउल मिल सकता है।
और अगर रेफरी आपको दो टेक्निकल फाउल देता है तो आपको उसके बाद मैच से निकाल दिया जाता है और तीसरा फाउल होता है फ्लैग रेनफॉल फ्लैग रेनफॉल बास्केटबॉल में सबसे बुरी तरह का फाउल है। ये फाउल तब होता है जब कोई प्लेयर जान बूझकर किसी दूसरे प्लेयर को चोट पहुंचाने का काम करता है। जैसे की अगर धक्का मार दिया बहुत ज़ोर से और ऐसी चीजें हैं जो दूसरे प्लेयर को चोट पहुंचा सकती है। तो ये होता है फ्लैग रेनफॉल और ऐसे केस में प्लेयर को सीधे गेम से निकाल दिया जाता है और बॉल ऑटोमेटिकली दूसरी टीम को दे दी जाती है।
अब हम बड़ते हैं, फीडरों की तरफ अगर शूटर हवा में है और वो बॉल को बास्केट की और शूट कर रहे हैं तो ऐसे में डिफेंडर का काम होता है, उछलकर बॉल पर हाथ मारना है, जिसे कहते हैं ब्लॉक लेकिन अगर बॉल ब्लॉक करते समय डिफेंडर का हाथ शूटर की बॉडी पर या उसके हाथ पड़ जाए तो उसे बोलते हैं शूटिंग कॉल।
अब अगर ये शूटिंग कॉल होते समय शूटर 3.9 के पीछे है तो उसे मिलते हैं तीन फीस रोज़ जिसमें हर एक क्षेत्र की किमत होती है एक पॉइंट और अगर वो 3.9 के आगे है तो उसे मिलते हैं दो पॉइंट। बस अगर शूटर पे शूटिंग होने के वक्त बॉल बास्केट के अंदर चली गई तो उसके वो पॉइंट्स भी काउंट होते हैं और उसे एक्स्ट्रा मिलता है, तो यह थे बास्केटबॉल के सारे फाउल।
अब हम बड़ते हैं आर्टिकल के तिसरे पार्ट की ओर जो है वाइलेशन तो बास्केटबॉल में पहला वायलेशन है। वॉकिंग या ट्रैवलिंग वायलेशन ये बास्केट बॉल का एक बहुत बेसिक रूल है की बॉल को आगे ले जाते समय एक प्लेयर को बॉल ट्रैवल करना बहुत जरूरी है। अगर कोई प्लेयर बिना बॉल ट्रैवल किये आगे बढ़ता है और बॉल को हाथ में पकड़ के चलता है तो उसे बोलते हैं ट्रैवलिंग वायलेशन या वॉकिंग वायलेशन होने पर बॉल सीधा दूसरी टीम को दे दी जाएगी। अकेले आप मारते समय भी आप भागते हुए सिर्फ दो ही स्टेप ले सकते हैं और बास्केट को स्कोर कर सकते हैं। तभी वो एक लीगल अकाउंट होगा।
अगर आप दो से ज्यादा स्टेप लेते हैं, बॉल को मारते समय तो वो एक ट्रैवलिंग वाइलेशन में ही काउंट होगा। खेल की दूसरी वायलेशन हैं। कैरिंग वाइलेशन बॉल को ट्रैवल करते समय आपका हाथ कभी बॉल के नीचे नहीं आना चाहिए। अगर आप बॉल ट्रैवल करते समय हाथ नीचे लाते हैं और बॉल को कैसे पकड़ते हैं तो वह एक कैरिंग वाइलेशन में काउंट होगा।
आपका हाथ डबल करते हैं, बोल के साइड में या बॉल के ऊपर हमेशा होना चाहिए।
बास्केटबॉल का तीसरा वाइलेशन हैं डबल ट्रिपल वॉयलेशन। बास्केटबॉल के रोल के हिसाब से आप बॉल को हमेशा एक ही हाथ से डबल कर सकते हैं। अगर आप बॉल को दो हाथ से ट्रैवल करते हैं तो वह डबल ट्रिपल वायलेशन माना जाएगा। और ऐसे में बॉल दूसरे टीम को दे दी जाएगी। इसके अलावा अगर आप बॉल ट्रैवल करके आते हैं और आप एक जगह पे खड़े हो जाते हैं बॉल पकड़ के और उसके बाद आपको समझ नहीं आता क्या करे और आप बॉल फिर से ट्रैवल करने लग जाते हैं तो वह भी एक डबल ट्रिपल वॉयलेशन में ही काउंट होगा।