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महेंद्र सिंह धोनी कप्तान कब बने

महेंद्र सिंह धोनी कप्तान कब बने | ICC ने माना है कि धोनी पिछले दशक के सबसे बेहतरीन कप्तान हैं

साल 2004 में इंडियन क्रिकेट टीम बांग्लादेश के खिलाफ़ मैच खेल रही थी। टीम के कप्तान सौरव गांगुली थे लेकिन इसी मैच में टीम इंडिया की सात नंबर वाली जरसी ७ नंबर पहनकर एक लंबे बालों वाले खिलाड़ी हाथ में दस्ताने लगाके विकेट के पीछे खड़ा था। उस दिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन इस खिलाड़ी को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का सबसे बेहतरीन कप्तान के तौर पर जाना जाएगा।

और ये बात हम नहीं बल्कि आईसीसी ने कही है। आईसीसी ने माना है कि धोनी पिछले दशक के सबसे बेहतरीन कप्तान हैं और आईसीसी की तरफ से बनाई गई सबसे बेहतरीन प्लेयर्स की टीम में धोनी ना सिर्फ शामिल है बल्कि उस टीम के कप्तान भी है। ऐसा क्यों है और धोनी की कौन से डिसिशन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया, आज के लेख में हम यही जानने की कोशिश करेंगे।

महेंद्र सिंह धोनी कप्तान कब बने | ICC ने माना है कि धोनी पिछले दशक के सबसे बेहतरीन कप्तान हैं

धोनी की पूरी कहानी तो आपने फ़िल्म में देखी ही होगी लेकिन जो इस फ़िल्म में छूट गया वो हम आपको बताने वाले हैं। इस की शुरुआत होती है 2007 के टी 20 वर्ल्ड कप से। जो साउथ अफ्रीका में खेला जाना था वहीं भारत ने इससे पहले सिर्फ एक टीट्वेंटी मैच खेला था। इतना ही नहीं इस वर्ल्ड कप में खेलने वाली ना तो टीम डिसाइड थी और ना ही कप्तान। वहीं भारत के सितारों से सजी टीम वेस्ट इंडीज में बुरी तरह 50 ओवेर्स वर्ल्ड कप हार कर आयी थी।

अब यहाँ पर बीसीसीआई के पास एक दिक्कत ये थी कि उसे एक नया कैप्टन चाहिए था, तब सचिन तेन्दुलकर ने बिना देरी किए धोनी का नाम सेलेक्टर्स के आगे रख दिया। उन्होंने कहा कि स्लिप में मैंने उन्हें जितना देखा है वो इस फॉर्मेट की कप्तानी करने के लिए पर्फेक्ट है सभी चीजों को देखते हुए धोनी को इस टीम का कप्तान बना दिया गया। लेकिन साउथ अफ्रीका जाने वाली इस टीम के आधे से ज्यादा खिलाड़ियों को इस नए फॉर्मेट के हिसाब से खेलने में कोई खास अंदाजा नहीं था।

चलिए बात करते है टी 20 वर्ल्ड कप की। जब लीग मैच का दौर शुरू हुआ तो न्यू जीलैंड को छोड़कर कोई भी टीम इंडिया को हराने में नाकाम रही। जिसमें धोनी की लीडरशिप वाली टीम ने साउथ अफ्रीका के हर्शल गिब्स, ग्रीम स्मिथ, शॉन पोलाक जैसे धुरंधर खिलाड़ियों से सजी टीम को मात दी।

अब इस वर्ल्ड कप के फाइनल में एशिया की वो दो टीम टकराने वाली थी जो एक दूसरे की कट्टर दुश्मन थी। वहीं दुनियाभर के लोग भी इस का इंतजार कर रहे थे। इस मैच में धोनी ने एक बार फिर अपने टैक्टिक से पाकिस्तान को सरप्राइज़ कर दिया क्योंकि इंडिया की प्लेइंग 11 में यूसुफ पठान का नाम शामिल था जो डेब्यू कर रहे थे।

महेंद्र सिंह धोनी को बाकी कप्तानों से अलग बना दिया। वर्ल्ड कप के खत्म होने के बाद उन्हें एक नए नाम कैप्टन कूल के नाम से पहचाना जाने लगा। लेकिन इसके बाद लंबे लंबे बाल वाला ये खिलाड़ी जब अगली बार मैदान में उतरा तो बाल छोटे हो चूके थे, लेकिन उनका इंटरनेशनल क्रिकेट में कद काफी बढ़ चुका था। अब कैप्टन कूल से देश 50 ओवर के वर्ल्ड कप को जीतने की उम्मीद लगाए बैठा था, क्योंकि अगला 2011 में होने वाला वर्ल्ड कप भी भारत में ही था।

पिछले 28 सालों से भारत इस टूर्नामेंट को नहीं जीत पा रहा था। वहीं 2011 में इस टीम ने 2007 का वर्ल्ड कप जीतने वाले कई खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया था। फाइनल मैच में श्रीलंका के साथ टॉस में भी जबरदस्त कॉन्ट्रोवर्सी हुई।

फाइनल में 284 रन का लक्ष्य भारत के सामने काफी बड़ा था। वहीं सचिन और सहवाग के जल्दी विकेट गिरने के बाद लगा कि 28 साल बाद इतने करीब आया वर्ल्ड कप हाथ से चला जाएगा। लेकिन हार और जीत के बीच एक बार फिर महेंद्र धोनी आ गए और जिन्हें इस मैच में 91 रन की नॉटआउट पारी खेलने के लिए एमएस धोनी को मैन ऑफ द मैच भी दिया गया।

फिर उसके बाद इंग्लैंड में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफ़ी को भी एमएस धोनी की कप्तानी में इंडियन टीम ने अपने नाम किया। इस ट्रोफ़ी के फाइनल मैच में भारत की टक्कर इंग्लैंड से थी।
बारिश के चलते कई बार इस मैच को रोका गया और इसके ओवर भी कम किए गए। लेकिन धोनी का मिडास टच आईसीसी की एक और ट्राफी में जारी रहा। देश भर में रांची और क्रिकेट की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले महेंद्र सिंह धोनी के नाम आईसीसी की टी 20 वर्ल्ड कप

2013 के बाद से आज तक भारत भले ही कोई भी आईसीसी का वर्ल्ड कप या चैम्पियंस ट्रॉफ़ी जैसा कोई टूर्नामेंट नहीं जीत पाया हो, लेकिन धोनी के बनाए ऐसे कई प्लेयर्स है, जो आज टीम इंडिया की बैकबोन है। सबसे पहले बात करते हैं आज के समय में टीम इंडिया के कैप्टन रोहित शर्मा की जो 2007 में हुए टी 20 वर्ल्ड कप का भी हिस्सा रहे थे।

उन्हें 2011 के बाद वनडे टीम में शामिल किया गया था और वो तब लोअर ऑर्डर में बैटिंग किया करते थे। इस दौरान उनकी परफॉर्मेंस भी कुछ खास नहीं थी। इसलिए धोनी को पूरा यकीन था कि रोहित शर्मा एक ना एक दिन क्रिकेट इतिहास में कोई ना कोई कमाल जरूर कर दिखाएंगे। इसलिए एक बार फिर धोनी ने अपने क्रिकेट साइंस से रोहित को ओपनिंग करने के लिए भेजा। फिर क्या था?

आज रोहित शर्मा वनडे क्रिकेट के सबसे खतरनाक ओपनर के तौर पर जाने जाते हैं। वहीं उनके नाम तीन डबल सेंचुरी भी है। इसके बाद नाम आता है विराट कोहली का जो 2011 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा भी है। उनके टैलेंट को पहचानने वाले धोनी थे क्योंकि बताओ और सफल खिलाड़ी बनाने का क्रेडिट खुद विराट धोनी को ही देते हैं। वैसे इन प्लेयर्स की लिस्ट लंबी है, जिनका खेल धोनी की कप्तानी में क्रिकेट की दुनिया में जबरदस्त तरीके से निकल कर आया क्योंकि 2011 में खेले गए 50 ओवर के वर्ल्ड कप में

सुरेश रैना के बल्ले और गेंद के साथ कॉन्ट्रिब्यूशन शानदार रहा। वहीं युवराज को बतौर गेंदबाज भी इस तरह यूज़ किया जा सकता था। ये किसी ने सोचा नहीं था क्योंकि इन्सटॉलमेंट में उनके नाम 15 विकेट थे। वहीं आईसीसी के नंबर वन ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा की बात की जाए तो एक वक्त पर उनकी परफॉर्मेंस को देखते हुए टीम इंडिया से बाहर किए जाने की मांग उठने लगी थी। लेकिन धोनी ने उन्हें इतना तराश दिया कि आज उन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन फील्डर के तौर पर जाना जाता है। यही कारण है कि धोनी की क्रिकेटिंग साइंस को देखते हुए आईसीसी ने धोनी को इस दशक की टीम का कैप्टन बनाया।

तो दोस्तों धोनी की खेली गई आपकी सबसे पसंदीदा पारी कौन सी है? हमें कमेंट करके जरूर बतायें और ऐसे ही शानदार आर्टिकल पडते रहीने के लिए हमें फॉलो करें!